स्टूडेंट्स के लिए जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी हिन्दी में | Motivational Story for Students in Hindi

Motivational Story for Students in Hindi: आज के इस संघर्ष भरा जीवन में हारना तो नहीं चाहते है लेकिन कभी-कभी थकान महसूस होने लगता है जिससे हम रुक जाते है अपनी काम पे फोकस नहीं कर पाते है और सफलता एक चीज मांगती है बिना थके और बिना रुके मेहनत फिर मेहनत करने वाले पर फिदा हो जाती हैं| बिना थके मेहनत करने के लिए मोटिवेशन की जरूरत पड़ती है ताकि लगातार अपने लक्ष्य के लिए मेहनत जारी रखे| यह प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के बाद आपके अंदर उच्च स्तर की ऊर्जा आएगी और आपको मेहनत करने पर मजबूर कर देगी|

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DM बनने का सपना – Students Motivational Story in Hindi

एक गाँव में एक सौरव नाम का लड़का रहता था उस लड़के की उम्र करीब 15 साल था, उसके पिता किसानी करते थे और उसकी माँ अपने घर में काम के साथ-साथ दूसरों के घर में काम करने जाया करती थी|

सौरव अभी एक स्टूडेंट था और वह हाई स्कूल में पढ़ता था और इधर पूरे देश में तेजी से विकास हो रहा था लेकिन उसके गाँव में विकास नहीं हो पा रहा था| 

इसका सबसे बड़ा करण था की उसके ही गाँव के कुछ अधिकारी थे उनके कारण ही गाँव के सड़के नहीं बन पा रही थी और जब-जब बरसात का मौसम आता था तो सौरव के पिता जी को नदी पार करके घर से खेत जाना पड़ता था और फिर उधर से नदी पार करने घर वापस आना पड़ता था|

उस गांव में रहने वाले बहुत सारे लोगों ने कोशिश किया की हमारे इस गांव में भी सड़क बनना चाहिए लेकिन बिल्कुल इसका विपरीत होता था सड़क बन नहीं पा रहा था, एक बार 

उसी गाँव का एक लड़का शहर से पढ़ाई करके अपने घर लौटा जब उसने देखा की सब जगह विकास का कार्य तेजी से हो रहा है लेकिन अपने गाँव में विकास न होते हुए देखा तो वह सीधे अपने जिले के District Magistrate (DM) के पास गया, फिर उसके अगले दिन सौरव देखता है की गाँव में कुछ गाड़ी एक-दूसरे के पीछे आ रही है|

और देखता है सभी गाड़ी के ऊपर बल्ब लगी थी और आवाज के लिए स्पीकर, और उस गाड़ी का काफिला के बीच में एक ऐसी गाड़ी थी जिस गाड़ी में उस जिले का DM बैठे हुए थे|

DM अपनी गाड़ी से उतरे, उनके सामने वह लोग भी हाजिर हो गए जो अपना काम सही से नहीं करते थे, DM ने उन सभी को फटकार लगाया|

और अगले ही दिन सड़क बनना शुरू हो गया और साथ ही उस नहीं के ऊपर पुल बनना शुरू हो गया जिसे पार करने सौरव के पिता खेत में जाया करते थे|

अब सौरव को समझ में आ गया की DM की पावर क्या होती है अब वह भी पढ़कर DM ही बनना चाह रहा था और सोचने लगा की अगर मै भी DM बन जाऊंगा तो दूसरे गाँव का विकास होने में मदद कर पाऊँगा|

और उसने पढ़ाई में मन लगाना शुरू कर दिया और 10वीं का परीक्षा दिया जिसमे उसे सिर्फ 75% अंक ही आ पाए फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और अगले परीक्षा की तैयारी में मेहनत करना शुरू किया|

तब जाकर 12वीं परीक्षा में उसने 90% अंक हासिल किया फिर भी वह खुश नहीं था क्योंकि उसे यहाँ नहीं रुकना था उसने तो DM बनने का सपना देख रखा था|

सौरव कॉलेज में जाने ही वाला था की उसके पिता का एक पैर दुर्घटना में खराब हो गया जिससे वह अंदर से वह पूरा टूट जाता हैं|

अब उसके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियाँ आ जाता है इधर पढ़ाई भी करना और घर भी चलाना था इसलिए वह कॉलेज नहीं जा पाता था और अपने गांव में ही रहकर खेती करने लगा था|

लगभग 2 साल बीत जाता है और सौरव अपने गाँव का बहुत आमिर आदमी बन चुका होता है इसका सबसे बड़ा कारण है जिम्मेदारी और कड़ी मेहनत|

जब आस-पास के सभी लोग खेत से काम करके घर चले जाते थे तभी वह अपने खेत में काम करता रहता था इसके साथ ही और दूसरे काम भी किया करता था जिससे नगद आमदनी हो सके और वह रात में पढ़ाई भी करता था|

अब वह अपने गांव को छोड़कर शहर की ओर जाता है क्योंकि उसका सपना जो था DM बनने का वह अभी भी जिंदा था अब उसके पास इतना पैसा आ चुका था की बिना कोई काम किए 5 साल तक पूरे परिवार खा सकते थे|

शहर में जाकर सौरव पूरे मेहनत से पढ़ाई करता है हालांकि वह पहली प्रयास में सफल नहीं हो पाता और अब उसे 5 साल के बदले 7 साल लगने वाले थे| इसे सोचकर वह परेशान था लेकिन किसी भी हालत में वह अपनी पढ़ाई बंद नहीं करता था|

इधर उसके घर का सारा पैसा खत्म हो जाता है अब उसके घर वालों के पास खाने को कुछ नहीं बचता है उसनकी सारी जमीन दूसरे के हवाले गिरवी रखना पड़ता है|

मानिए की पहले से कई गुना आफत फिर से आ चुकी थी सौरव के माता-पिता को दो दो दिन भूखे रहना पड़ता था लेकिन सौरव अपनी पढ़ाई नहीं रोकता था लगातार खूब मेहनत करता था|

एक दिन फिर से सौरव के गांव में कुछ गाड़ी आती है जो काफी आवाज कर रही थी और वह गाड़ी उसके घर के दरवाजे पर रुकती हैं|

और उस गाड़ी से एक लड़का उतरता है और सौरव के माता-पिता के पैर को चूमता है, वह लड़का कोई और नहीं बल्कि सौरव ही था|

उतने में ही उसके गाँव के सभी लोग जमा हो गए और देखकर हैरान हो गए क्योंकि अब सौरव एक DM हैं|

निष्कर्ष: कहानी किसी का भी हो यही नहीं रुकती अनेकों सफलताएं उन्हे मिलती है जो मुश्किल परिस्थिति में भी हार नहीं मानता है और मेहनत करता रहता है, सपना बड़ा देखने से मुश्किल भी बड़ा ही आता है लेकिन वो मंजर भी गजब होता है जब सफलता सोर मचाता है|

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी 

एक बार की बात है, राजा साहब के पास एक बहुत बड़ा सुंदर और बड़ा महल था| उस बड़े महल में एक सुंदर सा बगीचा था और उस सुंदर सा बगीचे में एक फल का पेड़ था, पेड़ पौधों को देखभाल करने के लिए एक माली भी रहता था|

वह माली एक बात से परेशान था की फल के पेड़ पर हर रोज चिड़िया आती थी और पके फल पर इस तरह वार करती थी की जो पके व मीठे फल थे उसे तो खा ही लेती थी लेकिन जो आधे पके और खट्टे थे उसे भी वह जमीन पर गिर देती थी जिससे माली बहुत परेशान रहने लगा|

माली चिंता करने लगा की ऐसे हर रोज करता है धीरे-धीरे पूरा फल को बर्बाद कर देगा उसे कोई उपाय नहीं सुझा तो अंत में मली अपने बगीचा के राजा के पास गया और उसने सारी घटना के बारे में बताई|

फिर राजा ने कहा- “माली जी आप टेंशन नहीं ले, मै आपका काम खुद करूंगा”|

अगले दिन राजा साहब उसी बगीचे में पहुंचे और फल के पेड़ के पास छुपकर बैठ गए, और जैसे ही चिड़िया आई बस उसे तुरंत पकड़ लिए , जैसे ही चिड़िया राजा साहब से हाथों में आ गई उसे राजा से कहने लगा-

” हे राजन मुझे माफ कर दो, मुझे नहीं मारो, मै आपको 4 ज्ञान की बातें बताऊँगा”|

राजा साहब बहुत गुस्से में थे, बोले पहली बात बताओ|

“चिड़िया ने कहा- अपने हाथ में आए शत्रु को कभी भी जाने नहीं दे”

फिर राजा साहब ने बोला- अब दूसरी बात क्या है?

‘चिड़िया ने कहा – कभी भी असंभव बातों पर यकीन न करे’|

राजा साहब बोले अब तीसरी बात बताओ?

फिर चिड़िया ने कहा- ‘बीते बातों पर पश्चाताप नहीं करे’|

राजा ने बोला अब चौथी बात बता बहुत गो गया|

“चिड़िया ने कहा- राजा साहब आप मुझे जिस तरीके से पकड़े हुए है मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है अगर आप थोड़ा सा छोड़ देंगे तो चौथी बात बता पाऊँगा, राजा ने जैसे ही हल्की सी ढील दी और चिड़िया उड़ कर फिर से डाल पर बैठ गई|

फिर डाल पर बैठ चिड़िया ने कहा- राजा साहब मेरे पेट में 2 हीरे है|

अब राजा पछताने लगे और उदास हो गए| राजा साहब की शक्ल देख चिड़िया ने कहा राजा साहब मैंने आपको 4 ज्ञान की बाते बताई थी की अपने हाथ में आए शत्रु को कभी हाथ से न जाने दे और आपने वही गलती कर दिया|

दूसरी बात बताए थे- असंभव बात पर यकीन न करें और आपने यकीन कर लिया की मेरे पेट में 2 हीरे है|

और तीसरी बात बताई थी की बीते बात पर कभी पछताए नहीं और आप उदास है पछता रहे है जबकि मेरे पेट में हीरे है ही नहीं जो चीज असंभव है उसके बारे में सोचकर आप उदास है|

सारांश: यह कहानी से हम सबको सिख यह मिली की बीते बातों के बारे में सोचकर और पश्चाताप करके अपना वर्तमान और आने वाला भविष्य को खराब न करे, जो हो गया उसे जाने दीजिए और अब कैसे क्या कर सकते है उसके बारे में सोचना चाहिए|

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